भारत जैसे विशाल और जटिल सीमा वाले देश में सुरक्षा केवल नीति का हिस्सा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्तित्व का मूल आधार है। पाकिस्तान, चीन और अन्य सीमा तनावों के बीच भारतीय सेना को हर पल चौकस, सतर्क और ताकतवर बने रहना होता है। हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा आपातकालीन खरीद प्रक्रियाओं के तहत लगभग 2,000 करोड़ रुपये के अनुबंधों को दी गई मंजूरी इसी नीति का हिस्सा है – एक ऐसा कदम जो सेना को आतंक विरोधी अभियानों में नई ताकत, सीमा सुरक्षा में सटीकता और तकनीकी धार प्रदान करेगा। यह पहल दुश्मनों के लिए एक सख्त चेतावनी है कि भारत अपनी रक्षा और सुरक्षा में कभी रियायत नहीं करेगा।

आपातकालीन खरीद नीति का संदर्भ
आपातकालीन खरीद क्या है?
आपातकालीन खरीद नीति भारतीय सेना और सुरक्षा बलों को युद्ध या आपातकालीन परिस्थितियों में बेहद जरूरी हथियार, तकनीक और उपकरण तुरंत प्राप्त करने का अधिकार देती है। यह नीति साधारण रक्षा खरीद प्रक्रियाओं से अलग है, ताकि सेना बिना देरी के अपना आवश्यक साजोसामान जुटा सके।
कब और क्यों शुरू हुआ?
2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद आपातकालीन खरीद नीति का उपयोग व्यापक हुआ। 2020 में गलवान घाटी में चीन से तनाव के दौरान यह नीति बेहद सहायक साबित हुई। तब से यह नीति भारतीय सेना के हथियारबंद सपनों को साकार करने और आतंक विरोधी अभियानों में एक सशक्त साधन के तौर पर स्थापित है।
2,000 करोड़ रुपये की आपातकालीन खरीद का अवलोकन
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने लगभग 1,981.9 करोड़ रुपये के 13 आपातकालीन अनुबंधों को मंजूरी दी है। यह कदम आतंक विरोधी अभियानों, सीमा निगरानी और सटीक युद्ध संचालन को ताकत देने के लिए उठाया गया है।
प्रमुख तकनीकें और उपकरण
- Integrated Drone Detection & Interdiction System (IDDIS)
- Low Level Light-weight Radars (LLLR)
- Very Short Range Air Defence Systems (VSHORADS)
- Remotely Piloted Aerial Vehicles (RPAVs) एवं लोइटरिंग गोला-बारूद
- Quick Reaction Fighting Vehicles (QRFVs)
ये उपकरण सेना की निगरानी और मारक क्षमताओं को वर्तमान तकनीक से लैस करेंगे, जिससे दुश्मनों के खिलाफ एक सटीक और असरदार जवाब सुनिश्चित होगा।

Group of Soldiers in Military Uniforms | Counter-Terror Operations
Image Source: Unsplash | Photo by Specna Arms (@specnaarms) – A group of people in military uniforms.
प्रत्येक तकनीक का विस्तृत विश्लेषण एवं वास्तविक उपयोग के उदाहरण
Integrated Drone Detection & Interdiction System (IDDIS)
क्या है?
दुश्मनों के ड्रोन का पता लगाकर उन्हें निष्क्रिय या नष्ट करने वाला समग्र समाधान।
कहाँ उपयोग होगा?
- जम्मू-कश्मीर जैसे आतंक प्रभावित क्षेत्रों में
- एलओसी और एलएसी जैसे सीमा क्षेत्रों में
वास्तविक उदाहरण:
हाल में पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर में हथियार और गोला-बारूद सप्लाई करने वाले ड्रोन की घटनाएँ सामने आईं। IDDIS जैसे सिस्टम से इन ड्रोनों का पता लगाकर या तो उन्हें जाम किया जाएगा या मार गिराया जाएगा, जिससे आतंकियों को आपूर्ति में विफल बनाया जा सके।
Low Level Light-weight Radars (LLLR)
क्या है?
नीचाई में उड़ने वाले लक्ष्यों (ड्रोन या हेलीकॉप्टर) का पता लगाने वाला रडार सिस्टम।
कहाँ उपयोग होगा?
- लद्दाख या कश्मीर जैसे दुर्गम पहाड़ी इलाकों में
- सीमा निगरानी और घने जंगलों में
वास्तविक उदाहरण:
गलवान घाटी में चीन से तनाव के दौरान LLLR रडारों ने दुश्मनों की नीचली उड़ानें और हलचलें पहचानीं, जिससे भारतीय सेना को सटीक सूचना प्राप्त हुई और सीमा सुरक्षा में एक नई ताकत जुड़ी।
Very Short Range Air Defence Systems (VSHORADS)
क्या है?
कम रेंज वाली मिसाइलें जो दुश्मनों के हेलीकॉप्टर, ड्रोन और लो लेवल जेट को मार गिराने में सक्षम हैं।
कहाँ उपयोग होगा?
- एलओसी और एलएसी जैसे दुर्गम सीमा क्षेत्रों में
- आतंक विरोधी अभियानों में दुश्मनों के UAV या हेलीकॉप्टर से बचाव
वास्तविक उदाहरण:
2020 में लद्दाख में सीमा तनाव के दौरान भारतीय सेना ने VSHORADS का उपयोग किया, जो दुश्मनों को सख्त संकेत और सीमा से बचने का सबक सिखाने में सहायक रहा।
Remotely Piloted Aerial Vehicles (RPAVs) एवं लोइटरिंग गोला-बारूद
क्या है?
मानवरहित ड्रोन सिस्टम, जो लक्ष्यों का पता लगाकर उन तक सटीक हमला कर सकते हैं।
कहाँ उपयोग होगा?
- सीमा के मुश्किल इलाकों में सटीक निगरानी और लक्षित हमला
- आतंक विरोधी अभियानों में दुश्मनों को खत्म करने के लिए
वास्तविक उदाहरण:
2021 में कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए सर्च एंड स्ट्राइक अभियान में RPAV और लोइटरिंग गोला-बारूद जैसे साधनों का उपयोग किया गया। यह तकनीक दुश्मनों को कम से कम जानमाल के नुकसान में खत्म करने में सहायक रही है।
Quick Reaction Fighting Vehicles (QRFVs)
क्या है?
क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल यानी विशेष वाहन जो दुर्गम या शहरी इलाकों में त्वरित जवाबी कार्रवाई और हथियारबंद सहारा मुहैया कराते हैं।
कहाँ उपयोग होगा?
- शहरी आतंक विरोधी अभियानों में
- सीआरपीएफ या सेना के काफिले में सहायक वाहन के तौर पर
वास्तविक उदाहरण:
कश्मीर में आतंकियों से जूझने के दौरान QRFV जैसे वाहनों ने जवानों को गोलियों से बचाने और दुश्मनों के खिलाफ जवाबी फायर में सहूलियत दी है। पुलवामा जैसे घटनाओं में यह तकनीक बेहद सहायक साबित हो सकती है।
आपातकालीन खरीद के फायदे
- सेना की तत्परता में वृद्धि:
तुरंत हथियार और तकनीक मुहैया होने से सेना की मारक ताकत और तत्परता में वृद्धि होती है। - सीमा सुरक्षा में सटीकता:
आधुनिक रडार और डिटेक्शन सिस्टम सीमा निगरानी में सहायक होते हैं, जिससे दुश्मनों का अंदाजा लगाना आसान हो जाता है। - घरेलू उद्योग का विकास:
मेक इन इंडिया पहल के तहत घरेलू कंपनियों से हथियार और तकनीक खरीदी जाती है, जो अर्थव्यवस्था और तकनीकी विकास को आगे बढ़ाती है। - दुश्मनों में दबदबा:
समय रहते तकनीक और हथियारों का उपयोग दुश्मनों में भय और अस्थिरता पैदा करने में सहायक होता है।
रक्षा नीति में आपातकालीन खरीद का स्थान
भारत ने अपनी रक्षा नीति में आपातकालीन खरीद को विशेष स्थान दिया है। यह नीति सेना को विश्वस्तर की ताकत और तकनीकी धार देती है।
- DRDO और निजी कंपनियों का सहकार
- मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा
- सीमा सुरक्षा में तकनीकी श्रेष्ठता
समकालीन उदाहरण एवं सफल उपयोग
- पुलवामा हमला (2019):
घटना के तुरंत बाद आपातकालीन खरीद नीति के सहारे आतंकियों के खिलाफ अभियान में तेजी और ताकत आई। - लद्दाख तनाव (2020):
चीन से सीमा तनाव के दौरान सेना ने आपातकालीन खरीद नीति का सहारा लेकर सटीक हथियार और उपकरण जुटाए, जिससे सीमा सुरक्षित रही। - जम्मू-कश्मीर आतंक विरोधी अभियान:
पिछले कुछ सालों में आपातकालीन खरीदी तकनीक आतंकियों से जूझने में बेहद सहायक रही है।
निष्कर्ष एवं भविष्य का रोडमैप
रक्षा मंत्रालय की आपातकालीन खरीद नीति वर्तमान में भारतीय सेना और सीमा सुरक्षा का मूल आधार है। यह नीति दुश्मनों से सामना करने में सेना को तकनीकी मजबूती, मारक ताकत और एक सटीक धार देती है। आगे मेक इन इंडिया और DRDO जैसे संस्थानों का सहकार इस नीति को और सशक्त करेगा।
भारत जैसे देश के लिए यह नीति केवल प्रक्रियागत हिस्सा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मूलमंत्र है। यह नीति आतंकवाद और सीमा तनाव के खिलाफ एक निर्णायक हथियार है, जो आने वाले वर्षों में भारतीय सेना को और ताकतवर बनाएगी।
सामान्य प्रश्न (FAQs)
1. आपातकालीन खरीद क्या है?
यह नीति सेना को युद्ध या आपातकाल में त्वरित हथियार और उपकरणों की खरीद करने का अधिकार देती है।
2. यह नीति कब लागू की गई?
2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद आपातकालीन खरीद नीति को विशेष बल मिला। 2020 में गलवान घाटी में तनाव के दौरान यह नीति व्यापक रूप से लागू हुई।
3. आपातकालीन खरीद में कौन सी तकनीकें शामिल रहती हैं?
ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम, लो लेवल रडार, एयर डिफेंस सिस्टम, RPAV, लोइटरिंग गोला-बारूद, QRFV और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण प्रमुख हैं।
4. यह नीति राष्ट्रीय सुरक्षा में क्यों जरूरी है?
क्योंकि यह नीति सेना को दुश्मनों और आतंकियों से त्वरित और सटीक तरीके से निपटने में सहायक है।