युवा और बदलता मौसम: जिम्मेदारी और करियर

नीले आसमान में लगे पवनचक्कियाँ, जो टिकाऊ ऊर्जा और क्लाइमेट चेंज समाधान का प्रतीक है

क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन अब केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं है, यह पूरी अर्थव्यवस्था, तकनीक और सामाजिक ढाँचे को प्रभावित कर रहा है।

IPCC (Intergovernmental Panel on Climate Change) के अनुसार अगर वर्तमान रफ्तार से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन चलता रहा तो सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में लगभग 2.7–3 डिग्री सेल्सियस वृद्धि हो सकती है। यह परिवर्तन पूरी दुनिया में खाद्य संकट, आपदाएँ और तकनीकी आवश्यकताएँ लेकर आएगा।

भारत जैसे देश में यह मुद्दा और गंभीर है, क्योंकि नीति आयोग (NITI Aayog) के अनुसार अगर नीति और तकनीक में बदलाव नहीं किया गया तो 2030 तक लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या गंभीर जल संकट का सामना कर सकती है। यह लेख छात्रों, प्रतियोगी परीक्षा के अभ्यर्थियों और युवाओं को यह समझने में सहायक होगा कि क्लाइमेट चेंज क्या है, इसके प्रभाव क्या हैं, और यह किस प्रकार करियर और जिम्मेदारी दोनों में एक अवसर है।

क्लाइमेट चेंज क्या है?

क्लाइमेट चेंज का अर्थ है पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक परिवर्तन। यह परिवर्तन मुख्यत: ग्रीनहाउस गैसों (CO₂, CH₄, N₂O) के उत्सर्जन से हो रहा है, जो औद्योगिकीकरण, परिवहन, जंगलों की कटाई और अन्य मानवीय गतिविधियों का सीधा परिणाम है।

तथ्य:

  • NASA के गोडार्ड इंस्टीट्यूट के अनुसार, औद्योगिक क्रांति से लेकर अब तक पृथ्वी का औसत तापमान लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।
  • IPCC के अनुसार अगर यह वृद्धि इसी रफ्तार से चलती रही तो 2030–2050 तक तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुँच सकती है, जो चरम मौसम और आपदाओं का कारण बनेगी।

राष्ट्रीय असर: भारत में बदलते मौसम का प्रभाव

भारत में क्लाइमेट चेंज सभी प्रमुख क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है:

1. जल संकट

नीति आयोग (NITI Aayog) के अनुसार लगभग 21 प्रमुख भारतीय शहर 2030 तक भूमिगत जल से पूरी तरह वंचित हो सकते हैं।

2. कृषि में असर

FAO (State of Food and Agriculture, 2021) के अनुसार बदलते तापमान और मानसून पैटर्न में परिवर्तन से गेहूँ और चावल जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों की पैदावार में 15–20 प्रतिशत तक की गिरावट संभव है।

3. शहरीकरण और आधारभूत ढाँचा

भारत के तटीय शहर जैसे मुंबई, चेन्नई और कोलकाता समुद्र स्तर में वृद्धि से प्रभावित हो सकते हैं। IPCC के अनुसार यह वृद्धि सदी के अंत तक लगभग 30–80 सेंटीमीटर तक हो सकती है।

4. आपदाएँ

भारत में बाढ़, चक्रवात और लू जैसे आपदाओं में वृद्धि हो रही है, जो नीति आयोग और IPCC दोनों द्वारा रेखांकित किया गया है।

अपोलो 17 से लिया गया पृथ्वी का वास्तविक चित्र, जो क्लाइमेट चेंज और पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक है

Image Source:
https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/9/97/The_Earth_seen_from_Apollo_17.jpg

वैश्विक असर: विश्व में बदलते मौसम का खतरा

क्लाइमेट चेंज का असर केवल भारत तक सीमित नहीं है:

  • यूरोप में 2023 में लू और जंगलों में आग से ग्रीस, स्पेन और फ्रांस जैसे देश प्रभावित हुए।
  • विश्व बैंक के अनुसार बांग्लादेश में समुद्र स्तर में वृद्धि से 2050 तक लगभग 1 करोड़ 30 लाख लोगों का विस्थापन हो सकता है।
  • अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में चक्रवात, जंगलों में आग और लू जैसे आपदाएँ तेजी से बढ़ रही हैं।

सभी सेक्टर में असर और युवाओं के लिए करियर अवसर

क्लाइमेट चेंज चुनौती है, तो यह युवाओं के लिए एक अवसर भी है। यह सभी क्षेत्रों में करियर और तकनीक के नए द्वार खोल रहा है:

सेक्टरयुवाओं के लिए करियरतथ्य
पर्यावरण और सतत विकासपर्यावरण सलाहकार, टिकाऊ विकास विशेषज्ञILO के अनुसार ग्रीन जॉब्स में 2030 तक लगभग 100 मिलियन नौकरियाँ सृजित होंगी।
ऊर्जा और तकनीकसौर, पवन ऊर्जा तकनीक, स्मार्ट ग्रिड विशेषज्ञIRENA रिपोर्ट (2023) के अनुसार भारत में रिन्युएबल एनर्जी सेक्टर में 2030 तक लगभग 10 लाख नौकरियाँ उत्पन्न होंगी।
आधारभूत ढाँचा और शहरी विकासग्रीन कन्सल्टेंट, टिकाऊ शहरी योजनाकारग्रीन बिल्डिंग (LEED, GRIHA) और स्मार्ट सिटी तकनीक में युवाओं के लिए व्यापक अवसर।
जल और आपदा प्रबंधनGIS विशेषज्ञ, आपदा जोखिम न्यूनीकरण सलाहकारनीति आयोग CWMI रिपोर्ट (2019) के अनुसार 21 प्रमुख भारतीय शहर भूमिगत जल संकट का सामना करेंगे, जो जल तकनीक और आपदा प्रबंधन में करियर को बढ़ावा देगा।
कृषि और खाद्य सुरक्षाक्लाइमेट-स्मार्ट कृषि विशेषज्ञ, मिट्टी वैज्ञानिकFAO State of Food and Agriculture (2021) के अनुसार विश्व में खाद्य माँग 2050 तक 60% तक बढ़ने वाली है। यह टिकाऊ कृषि तकनीक में करियर के द्वार खोलता है।

युवाओं की जिम्मेदारी और भूमिका

  1. तकनीकी कौशल विकसित करें: GIS मैपिंग, रिन्युएबल एनर्जी तकनीक और डाटा एनालिटिक्स जैसे कौशल सीखें।
  2. दैनिक आदतें बदलें: सार्वजनिक परिवहन, साइकिल चलाने और टिकाऊ जीवनशैली अपनाएँ।
  3. नीति संवाद में हिस्सा लें: नीति निर्माताओं तक अपनी आवाज पहुँचाएँ और क्लाइमेट नीति में हिस्सा लें।
  4. समुदाय में जागरूकता फैलाएँ: सोशल मीडिया और व्यक्तिगत संवाद से लोगों तक सटीक और प्रमाणिक जानकारी पहुँचाएँ।

नीति और सरकार की भूमिका

भारत में राष्ट्रीय सोलर मिशन, FAME-2 (इलेक्ट्रिक वाहन नीति) और राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन जैसे कदम उठाए जा चुके हैं।
जरूरी है कि नीति निर्माताओं द्वारा युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण, ग्रीन टेक्नोलॉजी में निवेश और स्टार्टअप इकोसिस्टम में विशेष स्थान दिया जाए ताकि वे परिवर्तन में सहायक और सहयात्री बन सके।

निष्कर्ष: बदलते मौसम में युवाओं का भविष्य

क्लाइमेट चेंज एक चुनौती है, मगर यह युवाओं के लिए तकनीक, नीति और सामाजिक जिम्मेदारी में करियर का एक ऐतिहासिक अवसर है। अगर युवा आज जिम्मेदारी निभाएँ तो वे आने वाले दशकों में एक टिकाऊ, समावेशी और समृद्ध विश्व के निर्माता बन सकते हैं। यह केवल परीक्षा में अंक पाने का मुद्दा नहीं है, यह आने वाली पीढ़ियों और पृथ्वी के प्रति जिम्मेदारी निभाने का मुद्दा है।

संदर्भ

Author

  • This article is produced by the AryaLekh Newsroom, the collaborative editorial team of AryaDesk Digital Media (a venture of Arya Enterprises). Each story is crafted through collective research and discussion, reflecting our commitment to ethical, independent journalism. At AryaLekh, we stand by our belief: “Where Every Thought Matters.”

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